Monthly Archives :

May 2021

ग़ज़ल 150 150 Ramesh Kamal

ग़ज़ल

इस दौर के भारत का  अंदाज़ अनूठा है अब रिश्ता अदालत का इंसाफ़ से टूटा है   जो बात नहीं शामिल क़ानूनी मसौदे में उस पर ही सियासत ने इस…

read more
ग़ज़ल – रमेश ‘कँवल’ 150 150 Ramesh Kamal

ग़ज़ल – रमेश ‘कँवल’

तुम्हारे लफ़्ज़ों को भावनाओं की पालकी में बिठा रहा हूँ दिले- हज़ीं में मची है हलचल मैं आँसुओं को छुपा रहा हूँ   तुम्हारी पलकें झुकी हुई हैं तुम्हारे लब…

read more
ग़ज़ल — रमेश कँवल 150 150 Ramesh Kamal

ग़ज़ल — रमेश कँवल

तेरी यादों के दस्तावेज़ अल्बम से निकल आए मेरी पलकों पे शबनम के दिए सौ बार मुस्काए   तमन्नाओं की बस्ती में अजब दहशत वबा की है जो परदेशी है…

read more
ग़ज़ल – रमेश कँवल 150 150 Ramesh Kamal

ग़ज़ल – रमेश कँवल

बेटी पर सख्ती, बेटे को मस्ती के अधिकार मिले नगर नगर कस्बों गाँवों को सीख में ये उपहार मिले   बालिग़ नाबालिग़ सब वहशी, तल्बा ज़ुल्म के मकतब के औरत…

read more
6 ग़ज़ल — रमेश कँवल 150 150 Ramesh Kamal

6 ग़ज़ल — रमेश कँवल

दाल रोटी और दवाई के सिवा क्या चाहिए     लॉक डाउन में मेरे भाई भला क्या चाहिए        शर्ट टाई पैंट पहने कोई अब फ़ुर्सत कहाँ अब नहाना खाना सोना है…

read more
ग़ज़ल -रमेश ‘कँवल’ 150 150 Ramesh Kamal

ग़ज़ल -रमेश ‘कँवल’

ज़हन की शाख पर ख्वाब फलते रहे वो दरीचे पे दिल के टहलते रहे    हमसफ़र बन के तुम साथ चलते रहे देख कर ये जहाँ वाले जलते रहे  …

read more
ग़ज़ल 150 150 Ramesh Kamal

ग़ज़ल

ज़िन्दगी में मेरी ताज़गी आ गयी दूर अँधेरा हुआ, रौशनी आ गयी   जब कोरोना की सूई भली आ गयी                                                                                                                      देश में फिर नयी ज़िन्दगी आ गयी     माह मौसम…

read more