ग़ज़ल
इस दौर के भारत का अंदाज़ अनूठा है अब रिश्ता अदालत का इंसाफ़ से टूटा है जो बात नहीं शामिल क़ानूनी मसौदे में उस पर ही सियासत ने इस…
read moreइस दौर के भारत का अंदाज़ अनूठा है अब रिश्ता अदालत का इंसाफ़ से टूटा है जो बात नहीं शामिल क़ानूनी मसौदे में उस पर ही सियासत ने इस…
read moreतुम्हारे लफ़्ज़ों को भावनाओं की पालकी में बिठा रहा हूँ दिले- हज़ीं में मची है हलचल मैं आँसुओं को छुपा रहा हूँ तुम्हारी पलकें झुकी हुई हैं तुम्हारे लब…
read moreतेरी यादों के दस्तावेज़ अल्बम से निकल आए मेरी पलकों पे शबनम के दिए सौ बार मुस्काए तमन्नाओं की बस्ती में अजब दहशत वबा की है जो परदेशी है…
read moreबेटी पर सख्ती, बेटे को मस्ती के अधिकार मिले नगर नगर कस्बों गाँवों को सीख में ये उपहार मिले बालिग़ नाबालिग़ सब वहशी, तल्बा ज़ुल्म के मकतब के औरत…
read moreदाल रोटी और दवाई के सिवा क्या चाहिए लॉक डाउन में मेरे भाई भला क्या चाहिए शर्ट टाई पैंट पहने कोई अब फ़ुर्सत कहाँ अब नहाना खाना सोना है…
read moreज़हन की शाख पर ख्वाब फलते रहे वो दरीचे पे दिल के टहलते रहे हमसफ़र बन के तुम साथ चलते रहे देख कर ये जहाँ वाले जलते रहे …
read moreज़िन्दगी में मेरी ताज़गी आ गयी दूर अँधेरा हुआ, रौशनी आ गयी जब कोरोना की सूई भली आ गयी देश में फिर नयी ज़िन्दगी आ गयी माह मौसम…
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