रमेश ‘कॅंवल’की दिलकश ग़ज़लों का पिटारा

311 है मुहब्बत जो तेरे दिल में वही इस दिल में है.pdf
001 सरस्वती वंदना.pdf
003 अंधेरों का मैं पैरहन ओढ़ लूँ.pdf
004 अगरचे मुझको समर्पित किसी का यौवन था.pdf
006 अपने अंदाज़ से गंवाता हूँ.pdf
008 अपनों के दरमियान सलामत नहीं रहे.pdf
011 अब तो मैं रोज़ घर में रहता हूँ.pdf
012 अब भी मंजू हसीन लगती है.pdf
013 अभी तक हैं दर-ए अहसास पर लम्हे गिरां कितने.pdf
015 आइये मेहरबां और पास आइये.pdf
016 आईना ये खता नहीं करता .pdf
025 आ गया इन्तख़ाब का मौसम.pdf
026 आज भर दीजिये ये मन मेरा.pdf
028 आदमी बुलबुला है पानी का.pdf
037 आस्मां से छिन गया जब चांद तारों का लिबास.pdf
038 इक नशा सा ज़हन पर छाने लगा.pdf
052 उसको चिंता रहती है बस अपने मान और शान की.pdf
056 एक सुन्दर ग़ज़ल सुनाओ न.pdf
063 कहीं ऐसा न हो कि ज़िन्दगी साग़र में ढल जाए.pdf
064 कहीं वहशतनुमां अंगड़ाइयां हैं.pdf
069 किसी की आंखों में बेहद हसीन मंज.pdf
072 कोई दरवेश ये कह कर गया है.pdf
073 क़ह्क़हों के दिए जलाओ न.pdf
077 कौन कहता है ये झमेला है.pdf
080 ख़त्म बेटों का फ़ोन आना हुआ.pdf
081 ख़ुदा के दर पे मैं अपनी इबादतें रख दूँ.pdf
085 खैरियत रुखसत हुई .pdf
088 ग़म छुपाने में वक़्त लगता है.pdf
090 ग़म बिछड़ने का नयन सहने लगे.pdf
092 ग़रीब लोगों की जां का मुआवज़ा क्या है.pdf
095 गुज़़रे मौसम का पता सुर्ख़ लबों पर रखना.pdf
100 घरों में और बाहर देखते हैं.pdf
104 चिराग़ों को है आज आंधी का डर .pdf
106 जब उदासी ने मेरे घर का ठिकाना ढूंढ़ा.pdf
127 जुर्म का इक़रार कर लूँ मुझको हिम्मत हो गयी.pdf
129 जो अब तक न पाया वो सब चाहिए.pdf
130 जो पल गुज़र गए उन्हें मुड़कर न देखिये.pdf
131 जो पागल कर दे वो अंगड़ाइयां हैं – Copy.pdf
136 ज़रा ज़रा सी बात पर वो मुझसे बदगुमां रहे.pdf
137 ज़रुरियात की फ़ेहरिस्त वह दिखाता है.pdf
138 ज़हन की शाख़ पर ख्वाब फलते रहे.pdf
142 ज़ुल्फ़ गालों पे बिखरने को ग़ज़ल कहते हैं.pdf
146 डट के पीछे मेरे पड़ा है कोई – Copy.pdf
156 तुम हमारे न हुए,कोई हमारा न हुआ.pdf
157 तुम्हारे लफ़्ज़ों को भावनाओं की पालकी में बिठा रहा हूँ.pdf
162 तेरे बिस्तर पे कोई सोता है.pdf
163 तेरे वस्ल की शोख़ चाहत से पहले.pdf
165 थी भीड़, एहतियात का गुलशन कहाँ मिला.pdf
173 दिन से डर कैसा हसीं रात से जी डरता है.pdf
175 दिल का मौसम ,तेरी गलियां,दिन सुहाने सोचकर.pdf
177 दिल की बस्ती में लूट पाट न कर.pdf
178 दिल बड़ा बेक़रार रहता है.pdf
180 दुज़दीदा निगाही से नहीं कोई शिकायत.pdf
182 ध्वंस का वंध्याकरण अब कीजिए.pdf
184 न कोई लाल-ओ-गौहर देखते हैं.pdf
189 नशे में चूर होना चाहती है.pdf
205 फूल की पंखडियों को मसलेंगे.pdf
216 बात दिलबर की दिलकशी की है.pdf
219 बेटियों की बहुत ज़रूरत है.pdf
222 बेहुनर को सिखाया हुनर.pdf
228 मुजरिमों से मिले रह गए.pdf
231 मुझसे मिलता है अजनबी की तरह.pdf
232 मुझे ज़िन्दगी ने लुभाया बहुत.pdf
233 मुद्दतों बाद तेरी याद सुहानी आई.pdf
234 मुफ़्त मिली पहचान नहीं हूं.pdf
239 मेरी पलकों पे तेरे ग़म खज़ाने निकले.pdf
241 मेरे दोस्त पल में ख़फ़ा हो गये.pdf
242 मेरे मंसूब होने के क़िस्से.pdf
247 मैं अपने होंठों की ताज़गी को तुम्हारे होंटों के नाम लिख दूँ.pdf
253 मौत है नग़मासरा अब ज़िन्दगी ख़ामोश है.pdf
255 ये न कहिये भला नहीं होता.pdf
256 ये सच है कि सर धड़ से मेरा दूर हो गया.pdf
258 रंगरलियाँ वो मनाने को तहख़ाने में मिले.pdf
261 राज़ जो दिल में है चेहरे पे छुपाते क्यों हो.pdf
264 रिश्ते रिसते रह जाते हैं.pdf
269 रोज़ सोते हैं जाग जाते हैं.pdf
272 लफ्ज़ मैं और तुम मआनी हो.pdf
280 श्याम की टोली हो जा तू.pdf
281 शरीके ज़िन्दगी हूँ.pdf
297 सुनी है सभी की मगर की है मन की.pdf
299 हम खाक नशीनों को अब आराम नहीं है.pdf
306 हवा की चिराग़ों से है दोस्ती.pdf