अमृत महोत्सव की ग़ज़लें

अमृत महोत्सव की ग़ज़लें 150 150 Ramesh Kamal

75 रदीफ़ों में ताबिंदा ग़ज़लों का सम्पादन – रमेश ‘कँवल स्वतंत्रता के 75 वें वर्ष को अमृत महोत्सव के रूप में मनाया जा रहा है | विकसित भारत ,गुलामी के प्रतीक अंशों से मुक्ति, अपनी…

श्रद्धा के दो फूल मेरे – ‘रमेश ‘कँवल

श्रद्धा के दो फूल मेरे – ‘रमेश ‘कँवल 150 150 Ramesh Kamal

फ़ाइलातुन मफ़ाइलुन फ़ैलुन छोड़ कर चल गयीं जहाँ फ़ानी गीत संगीत  की महारानी आप मलिका थीं ताल सुर लय की आपके दम से थी ग़ज़ल ख्वानी वो भजन हो कि गीत नग्मा हो आपका है…

ग़ज़ल – रमेश कँवल

ग़ज़ल – रमेश कँवल 150 150 Ramesh Kamal

मफ़ऊलु मुफ़ाईलु  मुफ़ाईलु फ़ऊलुन ठुकराओगे तो सोच लो पछताओगे बेशक पत्थर हूँ  शिवालों में मुझे पाओगे बेशक उम्मीद की दुल्हन हूँ निगाहों में बसा लो मंज़िल पे मेरे साथ पहुँच जाओगे बेशक तुम नींद में…

ग़ज़ल — रमेश ‘कँवल’

ग़ज़ल — रमेश ‘कँवल’ 150 150 Ramesh Kamal

मसअला मुल्क का हल हो ये कहाँ मुमकिन है घर ग़रीबों का महल हो ये कहाँ मुमकिन है   शोख़ अदाओं का न छल हो ये कहाँ मुमकिन है उनके माथे पे न बल हो…

ग़ज़ल – रमेश ‘कँवल’

ग़ज़ल – रमेश ‘कँवल’ 150 150 Ramesh Kamal

रिश्ते निभाएं कैसे दिलों में है बरहमी मय्यत निहारने की इजाज़त नहीं मिली   मरघट सी खामुशी है हर इक शहर में अभी बाहर वबा का खौफ़ है कमरों में ज़िन्दगी      पटरी पे…

ग़ज़ल – रमेश ‘कँवल’

ग़ज़ल – रमेश ‘कँवल’ 150 150 Ramesh Kamal

मजदूरों के लिए कोई लारी न आएगी बस रेल जैसी कोई सवारी न आएगी   कुछ फ़ासला हो, हाथ मिलाएं नहीं कभी कोरोना जैसी कोई बीमारी न आएगी           शमसान क़ब्रगाह के मंज़र तबाह हैं …

ग़ज़ल — रमेश ‘कँवल’,पटना

ग़ज़ल — रमेश ‘कँवल’,पटना 150 150 Ramesh Kamal

करोना ने जमकर मचायी तबाही इलाही, इलाही, इलाही, इलाही   सभी को है फ़ुर्सत मिलन पे मनाही है बेचैन मन बंद है आवाजाही   मिली महफ़िलों में उसे वाहवाही तरन्नुम की मलिका से जिसने निबाही…

ग़ज़ल – रमेश ‘कँवल’

ग़ज़ल – रमेश ‘कँवल’ 150 150 Ramesh Kamal

उजाले बांटने फिर चल पड़े हैं हमारे दर पे नाबीना खड़े हैं   ये परदे रेशमी तो हैं यक़ीनन मेरे सपनों के इन में चीथड़े हैं   हवाए-ताज़गी ले आयेंगे हम ये वादा कर गए…

ग़ज़ल — रमेश ‘कँवल’

ग़ज़ल — रमेश ‘कँवल’ 150 150 Ramesh Kamal

फ़ा इ ला तुन  म फ़ा इ लुन  फ़े लुन  रेत में कोई धार पानी की है कहानी सराए-फ़ानी की   खुदकशी के घने अँधेरों में ज़िन्दा रहने की तर्जुमानी की   उनकी गलियों में…