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May 2021

ग़ज़ल — रमेश ‘कँवल’ 150 150 Ramesh Kamal

ग़ज़ल — रमेश ‘कँवल’

मसअला मुल्क का हल हो ये कहाँ मुमकिन है घर ग़रीबों का महल हो ये कहाँ मुमकिन है   शोख़ अदाओं का न छल हो ये कहाँ मुमकिन है उनके…

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ग़ज़ल – रमेश ‘कँवल’ 150 150 Ramesh Kamal

ग़ज़ल – रमेश ‘कँवल’

रिश्ते निभाएं कैसे दिलों में है बरहमी मय्यत निहारने की इजाज़त नहीं मिली   मरघट सी खामुशी है हर इक शहर में अभी बाहर वबा का खौफ़ है कमरों में…

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ग़ज़ल – रमेश ‘कँवल’ 150 150 Ramesh Kamal

ग़ज़ल – रमेश ‘कँवल’

मजदूरों के लिए कोई लारी न आएगी बस रेल जैसी कोई सवारी न आएगी   कुछ फ़ासला हो, हाथ मिलाएं नहीं कभी कोरोना जैसी कोई बीमारी न आएगी           शमसान…

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ग़ज़ल — रमेश ‘कँवल’,पटना 150 150 Ramesh Kamal

ग़ज़ल — रमेश ‘कँवल’,पटना

करोना ने जमकर मचायी तबाही इलाही, इलाही, इलाही, इलाही   सभी को है फ़ुर्सत मिलन पे मनाही है बेचैन मन बंद है आवाजाही   मिली महफ़िलों में उसे वाहवाही तरन्नुम…

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ग़ज़ल – रमेश ‘कँवल’ 150 150 Ramesh Kamal

ग़ज़ल – रमेश ‘कँवल’

उजाले बांटने फिर चल पड़े हैं हमारे दर पे नाबीना खड़े हैं   ये परदे रेशमी तो हैं यक़ीनन मेरे सपनों के इन में चीथड़े हैं   हवाए-ताज़गी ले आयेंगे…

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ग़ज़ल — रमेश ‘कँवल’ 150 150 Ramesh Kamal

ग़ज़ल — रमेश ‘कँवल’

फ़ा इ ला तुन  म फ़ा इ लुन  फ़े लुन  रेत में कोई धार पानी की है कहानी सराए-फ़ानी की   खुदकशी के घने अँधेरों में ज़िन्दा रहने की तर्जुमानी…

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ग़ज़ल — रमेश ‘कँवल’ 150 150 Ramesh Kamal

ग़ज़ल — रमेश ‘कँवल’

अन्दर इक तूफ़ान सतह पर ख़ामोशी का पहरा था आँखों में फ़नकारी थी मासूम सा उनका चेहरा था   काँटों की हर एक चुभन मंज़ूर थी शातिर नज़रों को जब…

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ग़ज़ल – रमेश ‘कँवल’ 150 150 Ramesh Kamal

ग़ज़ल – रमेश ‘कँवल’

फ़ाइलातुन  फ़ाइलातुन  फ़ाइलुन   डूबने वालों में उसका नाम है  इक शिनावर का अजब अंजाम है    फाँकता था गर्द वह जिस राह की  वह सड़क उस अजनबी के नाम…

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