ग़ज़ल — रमेश ‘कँवल’
फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन उसकी सारी ख़ूबियाँ ख़ुद जलवागर करता रहा उसके ख़्वाबों से मैं नींदें तरबतर करता रहा हो गया एहसास जब कुछ भी नहीं बाक़ी रहा…
read moreफ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन उसकी सारी ख़ूबियाँ ख़ुद जलवागर करता रहा उसके ख़्वाबों से मैं नींदें तरबतर करता रहा हो गया एहसास जब कुछ भी नहीं बाक़ी रहा…
read moreगमले में तुलसी जैसी उगाई है ज़िन्दगी पूजा है, अर्चना है, दवाई है ज़िन्दगी किस ने कहा कि रास न आई है जिंदगी हद दर्ज़ा सादगी से निभाई है…
read moreमफ़ऊलु फ़ाइलातु मफ़ाईलु फ़ाइलुन जामुन की शाख़ पर कभी झूला न डालिए उस महजबीं के प्यार को दिल से निकालिए तक़रीरे-इन्तख़ाब हक़ीक़त से दूर हैं इन लीडरों के वादों…
read moreगगन धरती की मैं हलचल रहा हूँ युगों से सूर्य बन के जल रहा हूँ ग़मों की बज़्म में शामिल रहा हूँ ख़ुशी के गाँव की महफ़िल रहा हूँ…
read moreफ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन कुर्सियाँ हैं कहाँ फैला अख़बार है धूप के फ़र्श पर बैठा दिलदार है भोर का तारा चलने को तैयार है हर हथेली पे सूरज…
read moreफ़ा इ ला तुन फ़ा इ ला लुन फ़ा इ लुन दर्द का लश्कर उधर तैयार है इश्क़ का आँगन इधर गुलज़ार है हर तरफ़ जब लूट का बाज़ार…
read moreबहरे-कामिल मुसम्मन सालिम मुतफ़ाइलुन मुतफ़ाइलुन मुतफ़ाइलुन मुतफ़ाइलुन ग़ज़ल वो जो घर था, तुम से ही था वो घर, तुम्हें याद हो कि न याद हो तुम्हें ढूंढती रही हर नज़र,…
read moreमैं अपने होंठों की ताज़गी को तुम्हारे होंटों के नाम लिख दूँ हिना से रोशन हथेलियों पर नज़र के दिलकश पयाम लिख दूँ अगर इजाज़त हो जाने-मन तो किताबे-दिल…
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