दाल रोटी और दवाई के सिवा क्या चाहिए     

दाल रोटी और दवाई के सिवा क्या चाहिए      150 150 Ramesh Kamal

दाल रोटी और दवाई के सिवा क्या चाहिए लॉक डाउन में मेरे भाई भला क्या चाहिए   शर्ट टाई पैंट पहने कोई अब फ़ुर्सत कहाँ अब नहाना खाना सोना है सखा क्या चाहिए   एक…

बेटी पर सख्ती, बेटे को मस्ती के अधिकार मिले

बेटी पर सख्ती, बेटे को मस्ती के अधिकार मिले 150 150 Ramesh Kamal

बेटी पर सख्ती, बेटे को मस्ती के अधिकार मिले नगर नगर कस्बों गाँवों को सीख में ये उपहार मिले   बालिग़ नाबालिग़ सब वहशी, तल्बा ज़ुल्म के मकतब के औरत की अस्मत के लुटेरे बन…

तुम्हारे लफ़्ज़ों को भावनाओं की पालकी में बिठा रहा हूँ

तुम्हारे लफ़्ज़ों को भावनाओं की पालकी में बिठा रहा हूँ 150 150 Ramesh Kamal

तुम्हारे लफ़्ज़ों को भावनाओं की पालकी में बिठा रहा हूँ दिले- हज़ीं में मची है हलचल मैं आँसुओं को छुपा रहा हूँ   तुम्हारी पलकें झुकी हुई हैं तुम्हारे लब थरथरा रहे हैं तुम्हारी ठोड़ी…

मुँह  पे गमछा बाँधने की ठान ली   

मुँह  पे गमछा बाँधने की ठान ली    150 150 Ramesh Kamal

मुँह  पे गमछा बाँधने की ठान ली गाँव ने दो गज़ की दूरी मान  ली   आपदाओं में भी अवसर खोजना यह कला भी देश ने पहचान ली   मास्क, सैनीटाइज़र बनने लगे देश ने…

गमले में तुलसी जैसी उगाई है ज़िन्दगी

गमले में तुलसी जैसी उगाई है ज़िन्दगी 150 150 Ramesh Kamal

गमले में तुलसी जैसी उगाई है ज़िन्दगी पूजा है, अर्चना है, दवाई है ज़िन्दगी   किस ने कहा कि रास न आई है जिंदगी हद दर्ज़ा सादगी से निभाई है ज़िन्दगी   बस टीवी मोबाइल…

मसअला मुल्क का हल हो ये कहाँ मुमकिन है

मसअला मुल्क का हल हो ये कहाँ मुमकिन है 150 150 Ramesh Kamal

मसअला मुल्क का हल हो ये कहाँ मुमकिन है घर ग़रीबों का महल हो ये कहाँ मुमकिन है   शोख़ अदाओं का न छल हो ये कहाँ मुमकिन है उनके माथे पे न बल हो…

इस दौर के भारत का  अंदाज़ अनूठा है

इस दौर के भारत का  अंदाज़ अनूठा है 150 150 Ramesh Kamal

इस दौर के भारत का  अंदाज़ अनूठा है अब रिश्ता अदालत का इंसाफ़ से टूटा है   जो बात नहीं शामिल क़ानूनी मसौदे में उस पर ही सियासत ने इस देश को लूटा है  …

मैं अपने होंठों की ताज़गी को तुम्हारे होंटों के नाम लिख दूँ

मैं अपने होंठों की ताज़गी को तुम्हारे होंटों के नाम लिख दूँ 150 150 Ramesh Kamal

मैं अपने होंठों की ताज़गी को तुम्हारे होंटों के नाम लिख दूँ हिना से  रोशन हथेलियों पर नज़र के दिलकश पयाम लिख दूँ   अगर इजाज़त हो जाने-मन तो किताबे-दिल के हर इक वरक़ पर…

نقرئی اجالے پر سرمئی اندھیرا ہے

نقرئی اجالے پر سرمئی اندھیرا ہے 150 150 rorrimradmin

نقرئی اجالے پر سرمئی اندھیرا ہے یعنی میری قسمت کو گردشوں نے گھیرا ہے وقت نے جدائی کے زخم بھر دئے لیکن زخم کی کہانی بھی وقت کا ہی پھیرا ہے زخم کی کہانی بھی…