ग़ज़ल — रमेश ‘कँवल’
ग़ज़ल — रमेश ‘कँवल’ https://rameshkanwal.com/wp-content/themes/blade/images/empty/thumbnail.jpg 150 150 Ramesh Kamal https://secure.gravatar.com/avatar/9b11e7763a488cd6e6f39e1e0a2f9402?s=96&d=mm&r=gअन्दर इक तूफ़ान सतह पर ख़ामोशी का पहरा था आँखों में फ़नकारी थी मासूम सा उनका चेहरा था काँटों की हर एक चुभन मंज़ूर थी शातिर नज़रों को जब तक शाखों, टहनी पर फूलों…