• January 3, 2021

रिश्ते निभाएं कैसे दिलों में है बरहमी

रिश्ते निभाएं कैसे दिलों में है बरहमी

रिश्ते निभाएं कैसे दिलों में है बरहमी 150 150 Ramesh Kamal

रिश्ते निभाएं कैसे दिलों में है बरहमी

मय्यत निहारने की इजाज़त नहीं मिली

 

मरघट सी खामुशी है हर इक शहर में अभी

बाहर वबा का खौफ़ है कमरों में ज़िन्दगी

 

 

पटरी पे हैं मजदूरों के शव  रोटियाँ बिखरी

ट्रक बस के सफर में भी कहीं मौत है ख़ड़ी

 

रोज़ी छिनी, किराया भला कैसे दें घर का

घर बद्र हुए , भूख से बच्चों की है सिसकी

 

 

अब रेल से घर जाएँ तो जाएँ भला कैसे

मरकज़ ओ रियासत की सियासत नहीं भली

 

कर लेंगे कमाई कभी जां आज बचा लें

हरदम तो रहेगी नहीं आँखों में यह नमी

 

ये वक़्त गुज़र जाएगा रह घर में तू ‘कँवल’

नाचेगी कभी  झूमेगी आँखों में ज़िन्दगी

 

रमेश ‘कँवल’

17 मई,2020