• May 20, 2021

6 ग़ज़ल — रमेश कँवल

6 ग़ज़ल — रमेश कँवल

6 ग़ज़ल — रमेश कँवल 150 150 Ramesh Kamal

दाल रोटी और दवाई के सिवा क्या चाहिए    

लॉक डाउन में मेरे भाई भला क्या चाहिए     

 

शर्ट टाई पैंट पहने कोई अब फ़ुर्सत कहाँ

अब नहाना खाना सोना है सखा क्या चाहिए

 

एक बिस्तर दो बदन माज़ी के ख्वाबे-दिलनशीं 

घर है, टीवी, फैन से बेहतर हवा क्या चाहिए

 

शाहराहों पर गली कूचों में बेहद शोर है

पागलों सी चीखती ज़ालिम क़ज़ा क्या चाहिए

 

घर में रहिये घर में ही महफूज़ है यह ज़िन्दगी 

घर से बाहर मौत है कहिये वबा क्या चाहिए 

 

औरतें छल बल से बेबस हो गईं  दालान में 

मर्द की मर्दानगी ख़ुश है  मज़ा क्या चाहिए

 

हमसे तो पूछी नहीं है खैरियत उसने कँवल 

आप से किसने कहा किसने कहा क्या चाहिए

 

रमेश कँवल

 

सृजन : 15 मई,2020

 

‘यह समय कुछ खल रहा है (ग़ज़ल @लॉक डाउन)’