ग़ज़ल – रमेश कँवल
मफ़ऊलु मुफ़ाईलु मुफ़ाईलु फ़ऊलुन ठुकराओगे तो सोच लो पछताओगे बेशक पत्थर हूँ शिवालों में मुझे पाओगे बेशक उम्मीद की दुल्हन हूँ निगाहों में बसा लो मंज़िल पे मेरे साथ पहुँच…
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