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मोहब्बतों

का
शायर

मुस्कराऊँगा गुनगुनाऊँगा,  मैं तिरा हौसला बढ़ाऊँगा

रूठने की अदा निराली है, जब तू रूठेगा, मैं मनाऊँगा


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रमेश कँवल

मैं रमेश कँवल के नाम से ग़ज़लें कहता हूँ | हिंदी-भोजपुरी भाषी हूँ | उर्दू जुबान (और लिपि भी) जानता हूँ | पहले ‘कँवल’शाहाबादी और रमेश प्रसाद ‘कँवल’ के नाम से भी शेरो-शायरी करता था |जब मैं पश्चिम बंगाल में 24 परगना ज़िला के जगदल में रहता था तो जनाब ‘वफ़ा’ सिकंदरपुरी साहब से इस्लाह लेता था |

1972 में ऋषि बंकिम चन्द्र कॉलेज,नैहाटी (कोलकाता विश्व विद्यालय) से स्नातक करने के बाद मैं अपने ननिहाल आरा चला आया |जनाब ‘हफ़ीज़’ बनारसी साहब और जनाब तल्हा रिज़वी ‘बर्क’ साहब से शेरो-शायरी का हुनर सीखता रहा |

उर्दू में ‘लम्स का सूरज’ और ‘रंगे-हुनर’ नाम से और हिंदी में ‘सावन का कँवल’ और ‘शोहरत की धूप’ नाम से मेरी 4 किताबें (ग़ज़ल संग्रह) प्रकाशित हो चुकी हैं | ‘स्पर्श की चांदनी’ नाम से अगला ग़ज़ल संग्रह शीघ्र प्रकाश्य है |इस वेब साईट से अपनी ग़ज़लें और अपने पसंदीदा अशआर आपकी खिदमत में पेश करने की तमन्ना है.

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<div class=”Testimonial” data-dot=”02″>

Jane Johnsonn
BBC

Halvah bonbon sweet tart marzipan gingerbread gummi bears chocolate cookie. Carrot cake cheesecake cotton candy cookie. Pie pudding toffee macaroon bear claw jelly beans jujubes brownie croissant. Bonbon brownie lemon drops lemon drops sweet marshmallow liquorice.


<div class=”Testimonial” data-dot=”03″>

Samantha Rogers

Reader’s Digest

Pudding croissant cake candy canes fruitcake sweet roll pastry gummies sugar plum. Tart pastry danish soufflé donut bear claw chocolate cake marshmallow chupa chups. Jelly danish gummi bears cake donut powder chocolate cake. Jelly-o caramels cookie marshmallow gingerbread.

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स्पर्ष की चांदनी

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Ramesh Kanwal

रमेश कँवल

Mohabbaton Ke Shayar

मैं रमेश कँवल के नाम से ग़ज़लें कहता हूँ | हिंदी-भोजपुरी भाषी हूँ | उर्दू जुबान (और लिपि भी) जानता हूँ | पहले ‘कँवल’शाहाबादी और रमेश प्रसाद ‘कँवल’ के नाम से भी शेरो-शायरी करता था |जब मैं पश्चिम बंगाल में 24 परगना ज़िला के जगदल में रहता था तो जनाब ‘वफ़ा’ सिकंदरपुरी साहब से इस्लाह लेता था |

1972 में ऋषि बंकिम चन्द्र कॉलेज,नैहाटी (कोलकाता विश्व विद्यालय) से स्नातक करने के बाद मैं अपने ननिहाल आरा चला आया |जनाब ‘हफ़ीज़’ बनारसी साहब और जनाब तल्हा रिज़वी ‘बर्क’ साहब से शेरो-शायरी का हुनर सीखता रहा |

उर्दू में ‘लम्स का सूरज’ और ‘रंगे-हुनर’ नाम से और हिंदी में ‘सावन का कँवल’ और ‘शोहरत की धूप’ नाम से मेरी 4 किताबें (ग़ज़ल संग्रह) प्रकाशित हो चुकी हैं | ‘स्पर्श की चांदनी’ नाम से अगला ग़ज़ल संग्रह शीघ्र प्रकाश्य है |इस वेब साईट से अपनी ग़ज़लें और अपने पसंदीदा अशआर आपकी खिदमत में पेश करने की तमन्ना है.