इक नशा सा ज़ेहन पर छाने लगा
इक नशा सा ज़ेहन पर छाने लगा आप का चेहरा मुझे भाने लगा चाँदनी बिस्तर पे इतराने लगी चाँद बाँहों में नज़र आने लगा रूह पर मदहोशियां छाने लगीं जिस्म…
read moreइक नशा सा ज़ेहन पर छाने लगा आप का चेहरा मुझे भाने लगा चाँदनी बिस्तर पे इतराने लगी चाँद बाँहों में नज़र आने लगा रूह पर मदहोशियां छाने लगीं जिस्म…
read moreलो शुरूअ नफ़रत हुई ख़ैरियत रुख़्सत हुई बंद दरवाज़े हुए बरहना वहशत हुई एक लम्हे की ख़ता सदियों की शामत हुई ज़ेहन की दीवार पर मुफ़्लिसी की छत हुई इत्र…
read moreमुस्कराऊँगा गुनगुनाऊँगा मैं तिरा हौसला बढ़ाऊँगा रूठने की अदा निराली है जब तू रूठेगा, मैं मनाऊँगा क़ुर्बतों के चराग़ गुल कर के फ़ासलों के दिए जलाऊँगा जुगनुओं सा लिबास पहनूँगा…
read moreकभी बुलाओ, कभी मेरे घर भी आया करो यही है रस्म-ए-मोहब्बत, इसे निभाया करो तुम्हारे जिस्म के अशआर मुझ को भाते हैं मिरी वफ़ा की ग़ज़ल तुम भी गुनगुनाया करो…
read moreग़म छुपाने में वक़्त लगता है मुस्कुराने में वक़्त लगता है रूठ जाने का कोई वक़्त नहीं पर मनाने में वक़्त लगता है ज़िद का बिस्तर समेटिए दिलबर घर बसाने…
read moreज़रा ज़रा सी बात पर वो मुझ से बद-गुमाँ रहे जो रात दिन थे मेहरबाँ वो अब न मेहरबाँ रहे जुदाइयों की लज़्ज़तों की वुसअतें नहीं रहीं वो ख़ुश-ख़याल वस्ल…
read moreतुझ से मैं मुझ से आश्ना तुम हो मैं हूँ ख़ुशबू मगर हवा तुम हो मैं लिखावट तुम्हारे हाथों की मेरी तक़दीर का लिखा तुम हो तुम अगर सच हो,…
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