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لو شروع نفرت ہوئی 150 150 rorrimradmin

لو شروع نفرت ہوئی

لو شروع نفرت ہوئی خیریت رخصت ہوئی بند دروازے ہوئے برہنہ وحشت ہوئی ایک لمحے کی خطا صدیوں کی شامت ہوئی ذہن کی دیوار پر مفلسی کی چھت ہوئی عطر…

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लो शुरूअ नफ़रत हुई 150 150 rorrimradmin

लो शुरूअ नफ़रत हुई

लो शुरूअ नफ़रत हुई ख़ैरियत रुख़्सत हुई बंद दरवाज़े हुए बरहना वहशत हुई एक लम्हे की ख़ता सदियों की शामत हुई ज़ेहन की दीवार पर मुफ़्लिसी की छत हुई इत्र…

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مسکراؤں گا گنگناؤں گا 150 150 rorrimradmin

مسکراؤں گا گنگناؤں گا

مسکراؤں گا گنگناؤں گا میں ترا حوصلہ بڑھاؤں گا روٹھنے کی ادا نرالی ہے جب تو روٹھے گا، میں مناؤں گا قربتوں کے چراغ گل کر کے فاصلوں کے دیے…

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मुस्कराऊँगा गुनगुनाऊँगा 150 150 rorrimradmin

मुस्कराऊँगा गुनगुनाऊँगा

मुस्कराऊँगा गुनगुनाऊँगा मैं तिरा हौसला बढ़ाऊँगा रूठने की अदा निराली है जब तू रूठेगा, मैं मनाऊँगा क़ुर्बतों के चराग़ गुल कर के फ़ासलों के दिए जलाऊँगा जुगनुओं सा लिबास पहनूँगा…

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کبھی بلاؤ، کبھی میرے گھر بھی آیا کرو 150 150 rorrimradmin

کبھی بلاؤ، کبھی میرے گھر بھی آیا کرو

کبھی بلاؤ، کبھی میرے گھر بھی آیا کرو یہی ہے رسم محبت، اسے نبھایا کرو تمہارے جسم کے اشعار مجھ کو بھاتے ہیں مری وفا کی غزل تم بھی گنگنایا…

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कभी बुलाओ, कभी मेरे घर भी आया करो 150 150 rorrimradmin

कभी बुलाओ, कभी मेरे घर भी आया करो

कभी बुलाओ, कभी मेरे घर भी आया करो यही है रस्म-ए-मोहब्बत, इसे निभाया करो तुम्हारे जिस्म के अशआर मुझ को भाते हैं मिरी वफ़ा की ग़ज़ल तुम भी गुनगुनाया करो…

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غم چھپانے میں وقت لگتا ہے 150 150 rorrimradmin

غم چھپانے میں وقت لگتا ہے

غم چھپانے میں وقت لگتا ہے مسکرانے میں وقت لگتا ہے روٹھ جانے کا کوئی وقت نہیں پر منانے میں وقت لگتا ہے ضد کا بستر سمیٹیے دلبر گھر بسانے…

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ग़म छुपाने में वक़्त लगता है 150 150 rorrimradmin

ग़म छुपाने में वक़्त लगता है

ग़म छुपाने में वक़्त लगता है मुस्कुराने में वक़्त लगता है रूठ जाने का कोई वक़्त नहीं पर मनाने में वक़्त लगता है ज़िद का बिस्तर समेटिए दिलबर घर बसाने…

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