मोहब्बतों का शायर
रमेश कँवल
मुस्कराऊँगा गुनगुनाऊँगा, मैं तिरा हौसला बढ़ाऊँगा रूठने की अदा निराली है, जब तू रूठेगा, मैं मनाऊँगा

मैं रमेश कँवल के नाम से ग़ज़लें कहता हूँ | हिंदी-भोजपुरी भाषी हूँ | उर्दू जुबान (और लिपि भी) जानता हूँ | पहले ‘कँवल’शाहाबादी और रमेश प्रसाद ‘कँवल’ के नाम से भी शेरो-शायरी करता था |जब मैं पश्चिम बंगाल में 24 परगना ज़िला के जगदल में रहता था तो जनाब ‘वफ़ा’ सिकंदरपुरी साहब से इस्लाह लेता था |1972 में ऋषि बंकिम चन्द्र कॉलेज,नैहाटी (कोलकाता विश्व विद्यालय) से स्नातक करने के बाद मैं अपने ननिहाल आरा चला आया |जनाब ‘हफ़ीज़’ बनारसी साहब और जनाब तल्हा रिज़वी ‘बर्क’ साहब से शेरो-शायरी का हुनर सीखता रहा |उर्दू में लम्स का सूरज और रंग-ए-हुनर और हिन्दी में सावन का कँवल, शोहरत की धूप ,स्पर्श की चाँदनी, इतराती बल खाती ग़ज़लें, और अमृत काल की आधुनिक ग़ज़लें मेरे ग़ज़ल संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं | अनेक ग़ज़लों के संकलन संपादित कर चुका हूँ | इस वेबसाईट के माध्यम से अपनी ग़ज़लें और चुनिंदा अशआर आपकी खिदमत में पेश करने की तमन्ना है
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Ramesh Kanwal

पुस्तकें और प्रकाशन

शोहरत की धूप

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2020 की नुमायन्दा गजलें

लम्स का सूरज

अकीदत के फूल

स्पर्श की चाँदनी

एक रुक्नी अनूठी ग़ज़ल

अमृत महोत्सव की ग़ज़ले

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01.

सम्मान और पुरस्कार

हिंदी साहित्य सम्मलेन पटना से साहित्य भूषण
साहित्यकार संसद समस्तीपुर से ‘फ़िराक़ गोरखपुरी राष्ट्रीय शिखर सम्मान’
कामायनी, भागलपुर से दुष्यंत कुमार स्मृति पुरस्कार
अखिल भारतीय ग़ज़लकार सम्मलेन,नयी दिल्ली से आबरू-ए-ग़ज़ल
जेमिनी अकादमी, पानीपत,हरियाणा से आचार्य सम्मान
कलीमुल्लाह कलीम दोस्तपुरी उर्दू अदब एवार्ड,पटना
विश्व अंगिका साहित्य सम्मलेन ,पटना
सहित अनेक संस्थाओं से सम्मानित – पुरस्कृत

02.

चर्चित मजमून

“दुःख की मीठी आंच का शायर : रमेश कँवल” – प्रोफ़ेसर मनाज़िर आशिक़ हरगानवी
“कँवल :शख्सियत और शायरी” — डा.अमरेन्द्र
“लम्स की खुशबू : सावन का कँवल” — प्रोफ़ेसर मनाज़िर आशिक़ हरगानवी
“फ़न-ओ-फ़िक्र की पाकीज़गी का शायर : रमेश कँवल” —अनवारे-इस्लाम
“रूमानियत की ख़ुशबू से लबरेज़ है शोहरत की धूप” — जनाब विजेंद्र शर्मा
“हर्फ़े-चंद” — प्रो.तल्हा रिज़वी बर्क़
“ऐतराफ़े-कमाल” – जनाब मंसूर उस्मानी
‘रमेश कँवल’ : मुहब्बतों का शायर — ज़मीर दरवेश
रमेश कँवल और उनका आईना-ए-फ़न — डा.आसिफ़ सलीम
‘शिव के अवतार हैं रमेश कँवल’ — अरुण कुमार आर्य
श्री टी.डी.चोपड़ा ‘फ़िदा’, श्री सुमन अग्रवाल,चेन्नई ,जनाब लुत्फुर्रह्मान ,डा.एजाज़ अली अरशद के आलेख

03.

अन्य पुस्तकों में शामिल ग़ज़लें :

रंगारंग शायरी (संपादक –प्रकाश पंडित)
ग़ज़ल इंटर नेशनल (संपादक मंसूर उस्मानी)
ग़ज़ल : दुष्यंत के बाद भाग 2 (संपादक दीक्षित दनकौरी)
बिहार में जदीद ग़ज़ल (संपादक अताउल्लाह खां अल्वी)
101 किताबें ग़ज़लों की (संपादक नीरज गोस्वामी)
संदल सुगंध भाग 4 (संकलित काव्य संग्रह) में पृष्ठ 33-38 पर ग़ज़लें
हिंदी ग़ज़ल का बदलता मिज़ाज (संपादक अनिरुद्ध सिन्हा) पृष्ठ 92-98 पर ग़ज़लें
कविताकोश www.kavitakosh.org पर 80 से ज़्यादा ग़ज़लें-गीत
www.urduyouthforum.org पर 25 से ज्यादा ग़ज़लें
www.rekhta.org पर 10 से ज्यादा ग़ज़लें
हिंदी-उर्दू के अनेक पत्र पत्रिकाओं,पुस्तकों में ग़ज़लें प्रकाशित
आकाशवाणी और दूरदर्शन के विभिन्न कार्यक्रमों में ग़ज़लें प्रसारित

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