फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन
डूबने वालों में उसका नाम है
इक शिनावर का अजब अंजाम है
फाँकता था गर्द वह जिस राह की
वह सड़क उस अजनबी के नाम है
आ न जाएँ पांव के नीचे कोई
सूखे पत्तों में मचा कुह्राम है
शुह्रतें ग़ज़लों ने यूँ बख़्शी उसे
रात-दिन घर में न रहना आम है
है सदा उनको रिआयत की तलब
कुछ पहुंच वालों में उनका नाम है
औरों की ख़ुशियों में जो रहते हैं ख़ुश
उनके रुख़ पर रौनक़े इल्हाम है
लोग आये हैं चुनावी भीड़ में
अब कोरोना ही ‘कँवल’ अंजाम है
19 अक्टूबर, 2020
दि अंडरलाइन,कानपुर के ग़ज़ल विशेषांक दिसम्बर 2020 के पृष्ठ 44 पर प्रकाशित