لو شروع نفرت ہوئی
لو شروع نفرت ہوئی خیریت رخصت ہوئی بند دروازے ہوئے برہنہ وحشت ہوئی ایک لمحے کی خطا صدیوں کی شامت ہوئی ذہن کی دیوار پر مفلسی کی چھت ہوئی عطر…
read moreلو شروع نفرت ہوئی خیریت رخصت ہوئی بند دروازے ہوئے برہنہ وحشت ہوئی ایک لمحے کی خطا صدیوں کی شامت ہوئی ذہن کی دیوار پر مفلسی کی چھت ہوئی عطر…
read moreलो शुरूअ नफ़रत हुई ख़ैरियत रुख़्सत हुई बंद दरवाज़े हुए बरहना वहशत हुई एक लम्हे की ख़ता सदियों की शामत हुई ज़ेहन की दीवार पर मुफ़्लिसी की छत हुई इत्र…
read moreمسکراؤں گا گنگناؤں گا میں ترا حوصلہ بڑھاؤں گا روٹھنے کی ادا نرالی ہے جب تو روٹھے گا، میں مناؤں گا قربتوں کے چراغ گل کر کے فاصلوں کے دیے…
read moreमुस्कराऊँगा गुनगुनाऊँगा मैं तिरा हौसला बढ़ाऊँगा रूठने की अदा निराली है जब तू रूठेगा, मैं मनाऊँगा क़ुर्बतों के चराग़ गुल कर के फ़ासलों के दिए जलाऊँगा जुगनुओं सा लिबास पहनूँगा…
read moreکبھی بلاؤ، کبھی میرے گھر بھی آیا کرو یہی ہے رسم محبت، اسے نبھایا کرو تمہارے جسم کے اشعار مجھ کو بھاتے ہیں مری وفا کی غزل تم بھی گنگنایا…
read moreकभी बुलाओ, कभी मेरे घर भी आया करो यही है रस्म-ए-मोहब्बत, इसे निभाया करो तुम्हारे जिस्म के अशआर मुझ को भाते हैं मिरी वफ़ा की ग़ज़ल तुम भी गुनगुनाया करो…
read moreغم چھپانے میں وقت لگتا ہے مسکرانے میں وقت لگتا ہے روٹھ جانے کا کوئی وقت نہیں پر منانے میں وقت لگتا ہے ضد کا بستر سمیٹیے دلبر گھر بسانے…
read moreग़म छुपाने में वक़्त लगता है मुस्कुराने में वक़्त लगता है रूठ जाने का कोई वक़्त नहीं पर मनाने में वक़्त लगता है ज़िद का बिस्तर समेटिए दिलबर घर बसाने…
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