मफ़ऊलु मुफ़ाईलु मुफ़ाईलु फ़ऊलुन
ठुकराओगे तो सोच लो पछताओगे बेशक
पत्थर हूँ शिवालों में मुझे पाओगे बेशक
उम्मीद की दुल्हन हूँ निगाहों में बसा लो
मंज़िल पे मेरे साथ पहुँच जाओगे बेशक
तुम नींद में भी मुझ से जुदा हो नहीं सकते
ख़्वाबों के दरीचों पे नज़र आओगे बेशक
मुझको तो सज़ाओं की नहीं फ़िक्र मगर तुम
ख़ुद अपनी ख़ताओं पे ही शरमाओगे बेशक
पेट्रोल या माचिस की ज़रूरत ही नहीं अब
तक़रीरे-सियासत से ही जल जाओगे बेशक
ख़ुशबू से मुअत्तर करूँ चाहोगे अगर तुम
ज़ुल्फ़ों में मुझे गजरे सा पहनाओगे बेशक
मोदी वो हक़ीक़त है ‘कँवल’ दावा है मेरा
तुम जल्द ही दिल से उन्हें अपनाओगे बेशक
22 जनवरी, 2022