बेटी पर सख्ती, बेटे को मस्ती के अधिकार मिले
नगर नगर कस्बों गाँवों को सीख में ये उपहार मिले
बालिग़ नाबालिग़ सब वहशी, तल्बा ज़ुल्म के मकतब के
औरत की अस्मत के लुटेरे बन के सरे-बाज़ार मिले
बेटी बचाओ, बेटी पढाओ, बेटी बसाओ के नारे
झूठ फ़रेब के गाँवों में फुसलाने के किरदार मिले
फ़ुर्सत के लम्हात मिले तो रूठ गया जादू तन का
इक बिस्तर पर दो जिस्मों के बीच में खर-पतवार मिले
पटरानी बन दुख पीड़ाएँ महल में क़ाबिज़ हो बैठीं
सुख़ आराम के दाई नौकर बाहर के हक़दार मिले
देख नहीं सकते जिसको कोहराम मचाया है उसने
उसके आगे फ़ेल मिसाइल, एटम बम, हथियार मिले
मजदूरों की रोटी-रोज़ी छिन गयी, भात मुहाल हुआ
पैदल,ट्रक या रेल के पहियों पर बेबस घरबार मिले
मौत का मीटर,खौफ़ की दहशत क़ाबू में आए न ‘कँवल’
डॉक्टर हों या नर्स पुलिस, गुमसुम जग के व्यापार मिले
सृजन : 14 मई, 2020