ग़म छुपाने में वक़्त लगता है
मुस्कुराने में वक़्त लगता है
रूठ जाने का कोई वक़्त नहीं
पर मनाने में वक़्त लगता है
ज़िद का बिस्तर समेटिए दिलबर
घर बसाने में वक़्त लगता है
जा के आने की बात मत कीजे
जाने आने में वक़्त लगता है
आज़मा मत, भरोसा कर मुझ पर
आज़माने में वक़्त लगता है
यक-ब-यक भूलना है ना-मुम्किन
भूल जाने में वक़्त लगता है
वो अभी बन सँवर रही होगी
उस को आने में वक़्त लगता है
जाम पीते हैं जो नज़र से उन्हें
जाम उठाने में वक़्त लगता है
बेटियों को बचा के रखिए ‘कँवल’
इन को पाने में वक़्त लगता है