फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन
उसकी सारी ख़ूबियाँ ख़ुद जलवागर करता रहा
उसके ख़्वाबों से मैं नींदें तरबतर करता रहा
हो गया एहसास जब कुछ भी नहीं बाक़ी रहा
दस्तख़त पर दस्तख़त मैं बेहुनर करता रहा
लम्हा लम्हा वो झलकता ही रहा स्क्रीन पर
मैं भी मोबाइल से उसको दरबदर करता रहा
ख़त मुसलसल उसको लिखने की मेरी आदत रही
दिल के डेटाबेस में वह उनको घर करता रहा
किरची किरची ख़्वाहिशें आँखों में चुभती थीं ‘कँवल’
ज़िक्र हाये दर्दे-उल्फ़त हमसफ़र करता रहा
20 अक्टूबर, 2020