• May 20, 2021

ग़ज़ल – रमेश ‘कँवल’

ग़ज़ल – रमेश ‘कँवल’

ग़ज़ल – रमेश ‘कँवल’ 150 150 Ramesh Kamal

मजदूरों के लिए कोई लारी न आएगी

बस रेल जैसी कोई सवारी न आएगी

 

कुछ फ़ासला हो, हाथ मिलाएं नहीं कभी

कोरोना जैसी कोई बीमारी न आएगी        

 

शमसान क़ब्रगाह के मंज़र तबाह हैं 

मय्यत पे भी औलाद तुम्हारी न आएगी

 

सरकारी हिदायत में रहें एहतियात से

तो देखिएगा मौत की आरी न आएगी    

 

महफूज़ घर में आप रहेंगे अगर ‘कँवल’

मैं मुतमईन हूँ आपकी बारी न आएगी

 

रमेशकँवल

17 मई,2020

 

यह समय कुछ खल रहा है (ग़ज़ल @लॉक डाउन)

श्वेतवर्ण प्रकाशन में प्रकाशित