• January 2, 2020

लो शुरूअ नफ़रत हुई

लो शुरूअ नफ़रत हुई

लो शुरूअ नफ़रत हुई 150 150 rorrimradmin

लो शुरूअ नफ़रत हुई
ख़ैरियत रुख़्सत हुई

बंद दरवाज़े हुए
बरहना वहशत हुई

एक लम्हे की ख़ता
सदियों की शामत हुई

ज़ेहन की दीवार पर
मुफ़्लिसी की छत हुई

इत्र के बाज़ार में
फूलों की शोहरत हुई

तुम नसीबों से मिले
ज़िंदगी जन्नत हुई

चलना ट्रैफ़िक जाम में
अब ‘कँवल’ आदत हुई