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ग़ज़ल — रमेश ‘कँवल’ 150 150 Ramesh Kamal

ग़ज़ल — रमेश ‘कँवल’

अन्दर इक तूफ़ान सतह पर ख़ामोशी का पहरा था आँखों में फ़नकारी थी मासूम सा उनका चेहरा था   काँटों की हर एक चुभन मंज़ूर थी शातिर नज़रों को जब…

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ग़ज़ल – रमेश ‘कँवल’ 150 150 Ramesh Kamal

ग़ज़ल – रमेश ‘कँवल’

फ़ाइलातुन  फ़ाइलातुन  फ़ाइलुन   डूबने वालों में उसका नाम है  इक शिनावर का अजब अंजाम है    फाँकता था गर्द वह जिस राह की  वह सड़क उस अजनबी के नाम…

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ग़ज़ल — रमेश ‘कँवल’ 150 150 Ramesh Kamal

ग़ज़ल — रमेश ‘कँवल’

फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन   उसकी सारी ख़ूबियाँ ख़ुद जलवागर करता रहा उसके ख़्वाबों से मैं नींदें तरबतर करता रहा   हो गया एहसास जब कुछ भी नहीं बाक़ी रहा…

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ग़ज़ल —- रमेश ‘कँवल’ 150 150 Ramesh Kamal

ग़ज़ल —- रमेश ‘कँवल’

गमले में तुलसी जैसी उगाई है ज़िन्दगी पूजा है, अर्चना है, दवाई है ज़िन्दगी   किस ने कहा कि रास न आई है जिंदगी हद दर्ज़ा सादगी से निभाई है…

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ग़ज़ल — रमेश ‘कँवल’ 150 150 Ramesh Kamal

ग़ज़ल — रमेश ‘कँवल’

मफ़ऊलु फ़ाइलातु मफ़ाईलु फ़ाइलुन जामुन की शाख़ पर कभी झूला न डालिए उस महजबीं के प्यार को दिल से निकालिए   तक़रीरे-इन्तख़ाब हक़ीक़त से दूर हैं इन लीडरों के वादों…

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ग़ज़ल – रमेश ‘कँवल’ 150 150 Ramesh Kamal

ग़ज़ल – रमेश ‘कँवल’

गगन धरती की मैं हलचल रहा हूँ युगों से सूर्य बन के जल रहा हूँ   ग़मों की बज़्म में शामिल रहा हूँ ख़ुशी के गाँव की महफ़िल रहा हूँ…

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ग़ज़ल — रमेश ‘कँवल’ 150 150 Ramesh Kamal

ग़ज़ल — रमेश ‘कँवल’

फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन   कुर्सियाँ हैं कहाँ फैला अख़बार है धूप के फ़र्श पर बैठा दिलदार है   भोर का तारा चलने  को तैयार है   हर हथेली पे सूरज…

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ग़ज़ल – रमेश ‘कँवल’ 150 150 Ramesh Kamal

ग़ज़ल – रमेश ‘कँवल’

फ़ा इ ला तुन   फ़ा इ ला लुन   फ़ा इ लुन दर्द का लश्कर उधर तैयार है  इश्क़ का आँगन इधर गुलज़ार है   हर तरफ़ जब लूट का बाज़ार…

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