ग़ज़ल — रमेश ‘कँवल’
अन्दर इक तूफ़ान सतह पर ख़ामोशी का पहरा था आँखों में फ़नकारी थी मासूम सा उनका चेहरा था काँटों की हर एक चुभन मंज़ूर थी शातिर नज़रों को जब…
read moreअन्दर इक तूफ़ान सतह पर ख़ामोशी का पहरा था आँखों में फ़नकारी थी मासूम सा उनका चेहरा था काँटों की हर एक चुभन मंज़ूर थी शातिर नज़रों को जब…
read moreफ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन डूबने वालों में उसका नाम है इक शिनावर का अजब अंजाम है फाँकता था गर्द वह जिस राह की वह सड़क उस अजनबी के नाम…
read moreफ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन उसकी सारी ख़ूबियाँ ख़ुद जलवागर करता रहा उसके ख़्वाबों से मैं नींदें तरबतर करता रहा हो गया एहसास जब कुछ भी नहीं बाक़ी रहा…
read moreगमले में तुलसी जैसी उगाई है ज़िन्दगी पूजा है, अर्चना है, दवाई है ज़िन्दगी किस ने कहा कि रास न आई है जिंदगी हद दर्ज़ा सादगी से निभाई है…
read moreमफ़ऊलु फ़ाइलातु मफ़ाईलु फ़ाइलुन जामुन की शाख़ पर कभी झूला न डालिए उस महजबीं के प्यार को दिल से निकालिए तक़रीरे-इन्तख़ाब हक़ीक़त से दूर हैं इन लीडरों के वादों…
read moreगगन धरती की मैं हलचल रहा हूँ युगों से सूर्य बन के जल रहा हूँ ग़मों की बज़्म में शामिल रहा हूँ ख़ुशी के गाँव की महफ़िल रहा हूँ…
read moreफ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन कुर्सियाँ हैं कहाँ फैला अख़बार है धूप के फ़र्श पर बैठा दिलदार है भोर का तारा चलने को तैयार है हर हथेली पे सूरज…
read moreफ़ा इ ला तुन फ़ा इ ला लुन फ़ा इ लुन दर्द का लश्कर उधर तैयार है इश्क़ का आँगन इधर गुलज़ार है हर तरफ़ जब लूट का बाज़ार…
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